Accounting Terminologies and Transaction

Accounting Terminologies and Transaction (एकाउंटिंग शब्दावली एवं लेन-देन)

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Accounting Terminologies and Transaction (एकाउंटिंग शब्दावली एवं लेन-देन)

एकाउंटिंग शब्दावली एवं लेन-देन (Accounting Terminologies and Transaction) में एकाउंटिंग से सम्बंधित कई नियम (Terms) एवं प्रकार होते हैं जिन्हें डील करने से पहले जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ हम इनका संक्षिप्त परिचय देंगे।

Transaction (लेन-देन / सौदा)

एकाउंटिंग में खरीददारी या बिक्री के दौरान होने वाली विनिमय प्रक्रिया को Transaction (लेन-देन) कहते हैं। सौदे के दौरान, एक व्यक्ति या संगठन द्वारा एक वस्तु, सेवा, वित्तीय संपत्ति, या किसी अन्य चीज की खरीददारी या बेचने का प्रक्रिया होता है। लेन-देन एक अर्थतंत्रिक गतिविधि होती है जो व्यापार, वित्तीय बाजारों, या विभिन्न व्यापारिक संस्थानों में समाप्त हो सकती है।

Transaction

Cash Transaction (नकद लेन-देन):

इसमें वस्तु या सेवा की खरीददारी और भुगतान नकद पैसे से किया जाता है। इसमें नकद रुपये, मुद्रा या बैंक से लेन-देन का उपयोग होता है।

उदाहरण: राजू ने फल बाजार से सेब खरीदे। सेब की कीमत 100 रुपये थी और उसने तुरंत मालिक को 100 रुपये नकद देकर सेब खरीद लिया।

Contractual Transaction (अनुबंध लेन-देन):

यह विनिमय दोनों पक्षों के बीच एक अनुबंध पर आधारित होता है। अनुबंध में समझौते, नियम और शर्तें स्पष्ट की जाती हैं जो लेनदार और देनदार द्वारा पालन की जानी चाहिए।

उदाहरण: एक निर्माता द्वारा एक ग्राहक से नया मोबाइल फोन खरीदने के लिए एक समझौता किया गया था। इस एग्रीमेंट में एक खास ब्रांड का मोबाइल फोन 1 साल की वारंटी के साथ 10,000 रुपये में खरीदने की शर्त रखी गई थी।

Estimative Transaction (अनुमानित लेनदेन):

इसमें वस्तु या सेवा की वास्तविक मूल्य की जगह पर अनुमानित मूल्य के आधार पर सौदे की जाती है। एकाउंटिंग के लिए उत्पादों का मूल्य निर्धारित करने के लिए बाजार के अनुमानित मूल्य का उपयोग होता है।

उदाहरण: एक आयुर्वेदिक कंपनी ने एक नया प्राकृतिक उत्पाद विकसित किया है। उन्होंने अनुमानित बाजार मूल्य तय किया और इसकी कीमत 500 रुपये प्रति यूनिट आंकी।

Accrual Transaction (एकत्रीकरण लेनदेन):

इसमें वस्तु या सेवा की वित्तीय प्रक्रिया या उत्पादन के समय के अनुसार विनिमय किया जाता है, भले ही भुगतान अभी हो या बाद में हो।

उदाहरण: एक किफायती विद्युत उपकरण विक्रेता ने अग्रिम भुगतान के साथ एक ग्राहक को सौर पैनल बेचे। यह भुगतान विक्रेता द्वारा ग्राहक के एकाउंटिंग खाते में एकत्र किया गया था, लेकिन ग्राहक ने बाद में इसका भुगतान किया।

Short-term Transaction (अल्पकालिक लेन-देन):

इसमें वस्तु या सेवा की खरीदारी और भुगतान का समय छोटे अवधि में होता है, जिससे इसमें नकद पैसे के बजाय भुगतान (Transaction) के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर आदि का उपयोग किया जाता है।

उदाहरण: एक व्यवसायी ने एक ऑनलाइन शॉपिंग साइट से एक नया कंप्यूटर खरीदा। उन्होंने इसके लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया और दो सप्ताह के भीतर अपने बैंक खाते से इसका भुगतान कर दिया।

Investment and Savings Transactions (निवेश और बचत का लेन-देन):

इसमें पैसे का निवेश या बचत के लिए उपयोग होता है, जैसे कि शेयर खरीदना, बैंक में जमा करना आदि को Investment या Savings Transactions कहते हैं।

उदाहरण: एक आदमी ने एक बैंक में एक निवेश खाता खोला और 50,000 रुपये का निवेश किया। इसे एक निश्चित समय के बाद वापस किया जा सकता है और उस दौरान उसे ब्याज के रूप में बढ़ोतरी के साथ रिटर्न मिलेगा।

यहां उपरोक्त सौदे  (लेन-देन) के प्रकार दिए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व और उपयोग होता है। व्यक्ति और व्यापारिक संस्थान अपनी आवश्यकतानुसार इन सौदों (लेन-देन) का उपयोग करते हैं और इन्हें सफलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए संबंधित नियमों और कानूनों का पालन करते हैं।

और साथ ही प्रत्येक प्रकार के लेनदेन का उपरोक्त उदाहरण से स्पष्टीकरण दिया गया है जो दिन-प्रतिदिन की व्यावसायिक गतिविधियों में व्यक्तियों और संगठनों के बीच होता है।

Proprietor (प्रोपराइटर / मालिक / स्वामी)

“प्रोपराइटर” उस व्यक्ति या संस्था को संदर्भित करता है जो किसी व्यवसाय या संपत्ति का मालिक है। प्रोपराइटर किसी व्यवसाय या संपत्ति के एकमात्र मालिक या प्रबंधक का वर्णन करता है, जिसके पास व्यवसाय या संपत्ति पर अधिकार होता है। मालिक अपने व्यवसाय या संपत्ति के लिए जिम्मेदार है और उसके अधिकार, जिम्मेदारियां और लेन-देन या मुनाफे के अधिकार व्यवसाय की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। मालिक अपने व्यवसाय को चलाने के लिए सभी निर्णय ले सकता है और वह जो कमाता है वह उसका है। इस शब्द का प्रयोग एकाउंटिंग, व्यवसाय, उद्योग या अन्य संपत्ति संबंधी क्षेत्रों में किया जाता है।

Capital (पूंजी)

पूंजी (Capital) एक वित्तीय शब्द (Financial Accounting word) है। आर्थिक और वित्तीय संदर्भों में, “पूंजी” का तात्पर्य किसी व्यवसाय को शुरू करने और चलाने के लिए उपयोग किए जाने वाले वित्तीय संसाधनों से है। इसमें मालिक द्वारा निवेश किया गया धन, प्राप्त ऋण, या कोई अन्य वित्तीय संसाधन शामिल हो सकते हैं जो किसी व्यवसाय के कामकाज और विकास में योगदान करते हैं। “पूंजी” आर्थिक और व्यावसायिक मामलों में एक मौलिक अवधारणा है, जो किसी उद्यम के वित्तीय आधार को दर्शाती है।

Drawings (आहरण)

यह वह धनराशि या सामान है जो मालिक अपने घरेलू या व्यक्तिगत उपयोग के लिए व्यवसाय से लेता है और फिर इसे अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयोग करता है। इसे आमतौर पर पूंजी से घटाया जाता है। इसे एकाउंटिंग के भाषा में Drawings (आहरण) के नाम जाना जाता है।

Goods (माल)

माल वे वस्तुएँ हैं जिनमें व्यापारिक लेन-देन (Business Transaction) होता है। लेखांकन (Accounting) में, जब सामान खरीदा जाता है तो उसे खरीद के रूप में दर्ज किया जाता है। जब सामान बेचा जाता है तो उसे बिक्री के रूप में दर्ज किया जाता है। यदि वर्ष के अंत में माल बच जाता है तो उसे स्टॉक के रूप में लिखा जाता है।

Purchase (क्रय)

किसी व्यवसायी द्वारा अपने ग्राहकों को बेचने के लिए सामान खरीदना क्रय (Purchase) कहलाता है। यह कच्चे माल या तैयार माल के रूप में हो सकता है। संपत्ति की खरीद को एकाउंटिंग के भाषा में क्रय नहीं कहा जाता है क्योंकि संपत्ति पुनर्विक्रय के लिए नहीं खरीदी जाती है। क्रय दो प्रकार की हो सकती है, नकद क्रय और उधार क्रय। यदि ख़रीदने समय ही भुगतान किया जाता है, तो उसे नकद क्रय (Cash Purchase) और यदि ख़रीदने के समय भुगतान ना कर बाद में किया जाए, तो उसे उधार क्रय (Credit Purchase) कहा जाता है।

Sales (विक्रय)

सेल, किसी व्यापारी या व्यवसायी द्वारा उनके ग्राहकों को सामान बेचने की प्रक्रिया को सार्थक करने वाली है। सेल का मतलब होता है सामान या सेवाओं की बिक्री करना या उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकतानुसार उपयुक्त सामान देना। एकाउंटिंग की भाषा में विक्रय दो प्रकार की सकती है, नकद विक्रय और उधार विक्रय। यदि ग्राहक माल/सेवा ख़रीदने के समय ही भुगतान करता है तो उसे नकद विक्रय (Cash Sale) और यदि ग्राहक माल/सेवा ख़रीदने के समय भुगतान न कर बाद में करने को कहे, तो उसे उधार विक्रय (Credit Sale) कहा जाता है। सेल में बिक्री की जाने वाली सामान या सेवाएं विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं, जैसे कि कच्चा माल, तैयार माल, उपकरण, या अन्य उत्पाद और सेवाएं।

Creditor (लेनदार)

क्रेडिटर वह व्यक्ति या संगठन होता है जिससे किसी व्यापार या व्यक्ति ने माल या सेवाएं खरीदी हैं और उनका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। एकाउंटिंग की भाषा में, क्रेडिटर वह होता है जिसके प्रति हमें अभी तक देना बकाया है।

Debtor (देनदार)

डेबिटर वह व्यक्ति या संगठन होता है जो किसी से माल या सेवाएं खरीदता है और उसे इसका भुगतान करना है। अगर कोई व्यक्ति मुझसे सामान ख़रीदता है और उनका भुगतान भविष्य में करने को कहे, तो एकाउंटिंग की भाषा में वह डेबिटर कहलाता है।

FAQs for Transaction (लेन-देन सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न)

नकद लेन-देन क्या है?

नकद लेन-देन का अर्थ है एक ऐसी विनिमय प्रक्रिया, जिसमें वस्तु या सेवा की खरीददारी और भुगतान नकद पैसे से किया जाता है।

अनुबंध लेन-देन में कैसे अंतर होता है?

अनुबंध लेन-देन में, विनिमय एक अनुबंध पर आधारित होता है और समझौते, नियम और शर्तें स्पष्ट रूप से परिभाषित होती हैं जो लेनदार और देनदार द्वारा पालन की जानी चाहिए।

अनुमानित लेन-देन का क्या मतलब है?

अनुमानित लेन-देन में, वस्तु या सेवा की वास्तविक मूल्य की जगह पर अनुमानित मूल्य के आधार पर सौदे की जाती है।

एकत्रीकरण लेन-देन क्या होता है?

एकत्रीकरण लेन-देन में, विनिमय वस्तु या सेवा की वित्तीय प्रक्रिया के समय के अनुसार होता है, भले ही भुगतान अभी हो या बाद में हो।

अल्पकालिक लेन-देन में कौन-कौन से तरीके शामिल हो सकते हैं?

अल्पकालिक लेन-देन में भुगतान के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर आदि का उपयोग हो सकता है।

निवेश और बचत के लेन-देन का क्या महत्व है?

इसमें पैसे का निवेश या बचत के लिए उपयोग होता है, जैसे कि शेयर खरीदना, बैंक में जमा करना आदि। यह व्यक्ति को अच्छे रिटर्न देने का एक तरीका हो सकता है।

FAQs for Accounting (एकाउंटिंग से पूछे जाने वाले प्रश्न)

पूंजी क्या है?

पूंजी वह वित्तीय संसाधन है जो किसी व्यवसाय को शुरू करने और चलाने के लिए निवेश किया जाता है। इसमें मालिक द्वारा निवेश किया गया धन, प्राप्त ऋण, या कोई अन्य वित्तीय संसाधन शामिल हो सकते हैं जो किसी व्यवसाय के कामकाज और विकास में योगदान करते हैं। “पूंजी” आर्थिक और व्यावसायिक मामलों में एक मौलिक अवधारणा है, जो किसी उद्यम के वित्तीय आधार को दर्शाती है।

पूंजी और उद्यमिता के बीच क्या अंतर है?

पूंजी:

पूंजी एक व्यवसाय के लिए उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का समूह है जो उसके स्थापना, संचालन, और विकास के लिए उपयोग किया जाता है।

इसमें शामिल हो सकते हैं मालिक द्वारा निवेश किया गया पूंजी, ऋण, और अन्य वित्तीय स्रोत।

उद्यमिता:

उद्यमिता एक व्यक्ति या समूह की क्षमता है जो विभिन्न विचारों, योजनाओं, और क्रियाओं के माध्यम से नए और सुधारित व्यवसायिक अवसरों की खोज करता है और उसे अंजाम देने का निर्णय लेता है।

उद्यमिता में शामिल होता है नवाचार, सहजता, और विचारशीलता।

इस प्रकार, जबकि पूंजी एक वित्तीय स्रोत का समूह होती है, उद्यमिता एक व्यक्ति या समूह की क्षमता है जो सोच, योजना, और क्रियाओं के माध्यम से नए व्यवसायिक अवसरों को पहचानता है और इसे अंजाम देने का निर्णय लेता है।

आहरण क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

आहरण वह धनराशि या सामान है जो मालिक अपने घरेलू या व्यक्तिगत उपयोग के लिए व्यवसाय से लेता है और फिर इसे अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयोग करता है। इसे आमतौर पर पूंजी से घटाया जाता है। इसे एकाउंटिंग के भाषा में Drawings (आहरण) के नाम जाना जाता है।

आहरण का महत्व इसलिए है क्योंकि यह व्यावसायिक लेन-देन में स्थिति को स्पष्ट करने का एक तरीका है। जब मालिक अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए व्यवसाय से धन निकालता है, तो यह व्यावसायिक लेन-देन दस्तावेजों में प्रतिबिम्बित होता है। इससे व्यावसायिक लेन-देन में स्पष्टता बनी रहती है और व्यावसायिक संगठन की वित्तीय स्थिति का सटीक अंश प्रतिदर्शित होता है। आहरण की मदद से यह भी प्रतिबिम्बित होता है कि कितना धन व्यक्तिगत उपयोग के लिए निकाला गया है और इसका क्या प्रभाव हो सकता है।

माल क्या होता है और इसका व्यावसायिक महत्व क्या है?

माल वह वस्तुएँ हैं जिनमें व्यापारिक लेन-देन (Business Transaction) होता है। लेखांकन (Accounting) में, जब सामान खरीदा जाता है तो उसे खरीद के रूप में दर्ज किया जाता है। जब सामान बेचा जाता है तो उसे बिक्री के रूप में दर्ज किया जाता है। यदि वर्ष के अंत में माल बच जाता है तो उसे स्टॉक के रूप में लिखा जाता है।

माल का व्यावसायिक महत्व:

लेन-देन में प्रतिबिम्बित होना:

माल की खरीद और बिक्री से व्यावसायिक लेन-देन में स्थिति को स्पष्टता से प्रतिबिम्बित किया जा सकता है। माल के खरीद और बिक्री के दस्तावेजों के माध्यम से व्यावसायिक लेन-देन में सुरक्षिती बनी रहती है और लेखा के प्रणाली में यथासंभाव स्थिति को प्रदर्शित किया जा सकता है।

व्यापारिक निर्णयों में सहारा:

माल की बिक्री और खरीद की जानकारी के आधार पर व्यापारिक निर्णय लिया जा सकता है। इससे उचित इन्वेंटरी प्रबंधन, माल की मांग का अनुमान, और आपूर्ति नियंत्रण में सहारा मिलता है।

वित्तीय विश्लेषण:

माल की खरीद और बिक्री के विवेचन से वित्तीय विश्लेषण किया जा सकता है। इससे व्यावसायिक स्वास्थ्य, लाभ की स्थिति, और निवेश की संभावनाएं स्पष्ट होती हैं।

स्टॉक प्रबंधन:

माल के स्टॉक का अच्छा प्रबंधन करना व्यावसायिक संगठन के लिए महत्वपूर्ण है। यही संगठन को अच्छी आपूर्ति नियंत्रण और उचित स्तर के स्टॉक की आवश्यकता की सुरक्षा करने में मदद करता है।

व्यावसायिक लेन-देन का स्पष्टीकरण:

माल के खरीद और बिक्री का सुरक्षित और स्पष्ट रूप से विवेचन लेन-देन को समझने में मदद करता है और इसे लेखांकन में सुधार करने के लिए साहारा प्रदान करता है।

स्टॉक और माल में क्या अंतर है?

स्टॉक (Stock):

स्टॉक एक व्यावसायिक संगठन या व्यापार में उपस्थित सभी विभिन्न प्रकार के आवश्यक सामग्रियों या उत्पादों को संकेतित करता है जो उपभोक्ता या ग्राहक को उपलब्ध कराने के लिए भंडारित किए गए होते हैं। स्टॉक में सामान, उत्पाद, या सामग्री को रखा जाता है ताकि उन्हें उपभोक्ता के आदेश के अनुसार प्रस्तुत किया जा सके।

माल:

माल वह वस्तुएँ हैं जिनमें व्यापारिक लेन-देन होता है। माल खरीदा जाता है और फिर उसे बेचा जाता है। यह उत्पादों का समृद्धिशील समूह हो सकता है, जिनमें कच्चा माल, तैयार माल, या और किसी प्रकार की सामग्री शामिल हो सकती है।

मुख्य अंतर:

उपयोग:

स्टॉक उपभोक्ता की मांग को पूरा करने के लिए रखा जाता है, जबकि माल व्यापारिक लेन-देन के हिस्से के रूप में होता है जो उपभोक्ता को बेचा जाता है।

रूप:

स्टॉक एक संग्रहण या भंडारण का रूप हो सकता है, जबकि माल व्यापारिक लेन-देन के दौरान रखा जाता है और इसे बेचा जाता है।

प्रबंधन:

स्टॉक प्रबंधन केंद्रीय रूप से आवश्यक सामग्रियों की सही मात्रा को सुनिश्चित करने में मदद करता है, जबकि माल विभिन्न यात्रा में हो सकता है और इसका प्रबंधन विशेषज्ञ लेन-देन में व्यक्तिगत हो सकता है।

उपयोग क्षमता:

स्टॉक आमतौर पर उपभोक्ता की मांग के हिसाब से सुझाए जाते हैं, जबकि माल व्यापारी द्वारा खरीदे जाते हैं और उन्हें बेचा जाता है।

संक्षेप से कहें तो, स्टॉक व्यवसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भंडारित किए जाते हैं, जबकि माल व्यापारिक लेन-देन का हिस्सा होता है जो उपभोक्ता को बेचा जाता है।

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